जल बचाओ
जल का दोहन अति हुआ, जल जीवन आधार।
जल का संग्रह कब करे, करले मनुज विचार।।
बूँद बूँद जल महत्व है, मत करिए बर्बाद।
जलस्तर पाताल गया, क्या रह जाए बाद।।
हरित चादर फैल गई, वर्षा उगाए बीज।
मनुज कैसे भूल गया, पानी करता छीज।।
जल पृथ्वी पर जीवन है, जल से झूमे पेड़।
जल बिना नहीं जिंदगी, कहाँ चरेंगी भेड़।।
बरखा बरसे झूम के, जल सारा बह जाय।
मृदा उर्वरक खेत की, नीर संग ढह जाय।।
वर्षा जल "श्री" रोकिए, व्यर्थ न बहने पाय।
कृत्रिम टेंक घर संग में, जल संग्रहण बनाय।।
स्वरचित- सरिता श्रीवास्तव "श्री"
धौलपुर (राजस्थान)
Anjali korde
12-Jun-2024 09:11 AM
Amazing
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Sarita Shrivastava "Shri"
10-Jun-2024 06:14 PM
👌👌
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